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गांधी और गोडसे
30 जनवरी 1948 का दिन था ,शाम के यही कुछ 5:15 मिनट हुए थे, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपनी शाम की प्रार्थना के लिए बाहर निकले | कुछ दूर चलने के बाद 39-40 साल की उम्र का आदमी उन्हे देख मुस्कराया और उनका आशीर्वाद लेने के लिए झुका और जैसे ही उठा तभी लगातार 3 बार गोलियां चलने की आवाज सुनाई दी | देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को मार दिया गया | उन्हे मारने वाला नीच इंसान था स्वतंत्र भारत का पहला आतंकवादी नाथुराम गोडसे | नाथुराम आरएसएस का सेवक रह चुका था और हिन्दू महासभा का सदस्य था | उसने आरएसएस को छोड़ने के बाद 1940 मे हिन्दू रक्षा दल नाम का देश के पहले आतंकवादी संगठन की नीव रक्खी | गोडसे ने उससे पहले दो बार और गांधी को मारने प्रयत्न किया 1934 और 1944 मे | 30 जनवरी से पहले भी 20 जनवरी को भी गांधी को मारने के लिए बम फेंका गया था जिसमे वो बच गए |
इस साल देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को शहीद हुए 68 साल हो जाएंगे | अपनी पूरी ज़िंदगी देश को होम कर देने वाले महापुरुष और अहिंसा की मूर्ति गांधी की मौत इतनी हिंसक होगी शायद किसी ने कल्पना नहीं की होगी | 28 जनवरी को महात्मा ने एक सम्बोधन मे कहा की “अगर मुझे किसी पागल इंसान की गोली से ही मरना होगा तो कोई क्या कर सकता है | मै तो बस चाहता हूँ की जब मै मरू तो मेरे मुह मे बस ईश्वर का ही नाम हो ” और यही हुआ गोडसे और नारायण आप्टे नामक दो सनकी और पागल व्यक्तियों ने दो दिन बाद यही किया | जो आरएसएस आज राष्ट्रवादी संगठन बना फ़िरता है उसी का सेवक था ये गोडसे , हिन्दू महासभा का सदस्य है गोडसे इन इंतेहा पसंद और हिंसक दलों को जब मै देश हित और हिन्दू हित की रक्षा की बात करते सुनता हूँ तो ये महसूस करता हूँ की जो एक अहिंसा के पुजारी को मार सकते हैं उनसे देश हित की उम्मीद किस हद तक की जा सकती है |
सुनने मे आ रहा है की हिन्दू महासभा आतंकवादी गोडसे का मंदिर बनाना चाहती है और बकायदा प्राधानमंत्री मोदी से इस बात की विनती की गयी है | “गोडसे एक राष्ट्र भक्त” नाम की डॉक्युमेंट्री भी 30 रिलीज़ होगी | ये संगठन कहा से हिन्दू महासभा कहलाने का हक रखता है | हमे ऐसे किसी संगठन की आवश्यकता नहीं है| मै गोडसे को राष्ट्र भक्त मानने वालो से यह प्रश्न पूछना चाहूँगा की उस नीच और आतंकवादी गोडसे ने देश के हित मे और आज़ादी मे क्या योगदान दिया | चलिये एक बार उसे क्रांतिकारी भी मान लेते हैं ( उसे क्रांतिकारी भी नही कह सकते क्यूकी ये भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों की बेइज्जती होगी ) तो क्या कभी उसने किसी क्रूर अंग्रेज़ अधिकारी को मारा क्या कभी उसने कोई ऐसा कार्य किया जो आज़ादी मे सहायक हो ? शायद नहीं और अगर महातमा गांधी को मारना ही देश भक्ति और राष्ट्र हित है तो ये हमारा दुर्भाग्य है की जिस महापुरुष ने इस देश को आज़ाद कराया अब उसी की हत्या को राष्ट्र हित मान ले | थू है हम पर और थू है हमारी इस मानसिकता पर | एक बात और अगर गांधी के हत्यारे गोडसे को आप आतंकवादी नहीं मानते तो मै राजीव के हत्यारे प्रभाकरन और संसद पर आतंकी हमले मे शामिल अफजल को आतंकी नहीं मानता, अब बोलिए | अगर कल को कश्मीर मे या तमिल नाडु मे अफजल की मज़ार और प्रभाकरण का मंदिर बनेगा तो वो देश द्रोह नहीं होगा ? अगर गोडसे का मंदिर बनता है तो भारत की सभ्यता पर तमाचा होगा |
गोडसे के समर्थक जो भी हैं उनसे मेरा ये प्रश्न है क्या देश के इतिहास और दुनिया के इतिहास मे कही भी गोडसे का नाम भारत की आज़ादी की लड़ाई मे है | इस नीच इंसान और इसके संगठन ने पूरी जिंदगी गांधी को मारने मे बीता दी | क्या गोडसे मे इतनी ताकत थी की वो देश को आज़ाद करा सकता ? जो गोडसे समर्थक आज गोडसे का मंदिर बना रहे हैं उन्हे शायद इसका भान ही नहीं है की जो नोट वो इसमे खर्च करेंगे उन पर भी गांधी छपे होंगे | क्या दुर्भाग्य पाया है इस देश ने | जिस देश मे गांधी को मारने वाले का मंदिर बनेगा उसकी मूर्ति बनेगी वो देश गांधी का देश कहलाने का अधिकार नहीं रखता |
हमे भारत की संस्कृति पर बहुत गर्व है लेकिन जब कभी इस संस्कृति की बात होगी तो ये बात भी होगी किस तरह इस देश मे गांधी को मार दिया गया जिसके सामने पूरी दुनिया नतमस्तक थी , है और रहेगी | इस भारत मे आज भी आतंकवादी गोडसे का नाम लेने वाले उसका समर्थन करने वाले है यही बड़े शर्म की बात है | गोडसे हिन्दू हित की बात करता था पता नहीं किस मुह से क्यूकी हिन्दू धर्म मे कही भी हिंसा को स्थान नही दिया गया | पाकिस्तान को 55 करोड़ देने को ही अगर गांधी की हत्या का कारण बनाया गया तो मै गोडसे समर्थकों से बात कहना चाहूँगा की जब भी पैत्रक संपत्ति का बटवारा होता है तो सभी को उनका हिस्सा मिलता है | पाकिस्तान को 75 करोड़ देने की बात समझौते मे थी जिसमे 20 करोड़ पहले दिये जा चुके थे और बाकी 55 करोड़ इस वजह से रोक दिये गए थे क्यूकी पाकिस्तान कश्मीर मे घुसपैठ करने लगा था | इस बीच देश मे सांप्रदायिक माहौल खराब होने लगा था और पाकिस्तान मे हिंदुस्तान के खिलाफ असंतोष बढ्ने लगा था | गांधी इसी को खत्म करना चाहते थे तभी उन्होने अनशन शुरू कर पाक को उसका हिस्सा देने की और दंगे रोकने की अपील की | इसमे क्या गलत था ?
गलत था गोडसे के मन मे, उसके चरित्र मे और जिस गोडसे हो हिन्दू धर्म का रक्षक बोला जा रहा है तब उसका खतना क्यू कराया गया ? इसीलिए ना की ताकि गांधी को मारने का इल्ज़ाम एक मुस्लिम पर जाए जिससे देश मे सांप्रदायिक माहौल बिगड़े और भारत एक हिन्दू राष्ट्र बने | लेकिन ये प्लानिंग फ़ेल हो गयी क्यूकी भीड़ मे एक आदमी ने गोडसे को पहचान लिया और ये बोला की “हे गोडसे तुमने ये क्या किया” | उसी रात नेहरू ने रेडियो पर बोला की “एक पागल हिन्दू ने आज गांधी की हत्या कर दी |” पटेल द्वारा आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था |
गोडसे आतंकवादी था , है और रहेगा इसमे कोई शक नहीं की गोडसे सार्थक नासमझ हैं और देश द्रोह के आरोपी हैं | मै केंद्र सरकार से अपील करना चाहता हूँ की गोडसे का समर्थन राष्ट्र द्रोह करार दिया जाए | उसका मंदिर बनाने वाली हिन्दू महासभा को बैन किया जाये उसपर रोक लगाई जाये और उसे एक राष्ट्र विरोधी दल माना जाए | हम हिन्दुओ को ऐसे संगठनो की आवश्यकता नहीं है जो देश के खिलाफ हो हमारे राष्ट्र पिता के सम्मान को ठेस पाहुचाए क्यूकी हम हिन्दू बाद मे है भारतीय पहले | गोडसे समर्थक देश हिट नहीं देश द्रोह कर रहे हैं |
रघुपति राघव राजा राम , पतित पावन सीता राम
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम , सबको सन्मति दे भगवान
और खास कर गांधी विरोधियो और आतन्कवादी गोडसे के समर्थको कों
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