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हिन्दू जातिवाद और धर्मांतरण

गोलू का पिटारा
गोलू का पिटारा
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हिन्दू, जातिवाद और धर्मांतरण

धर्मांतरण अब अगले बिहार और उत्तर प्रदेश चुनावो का मुद्दा बन चुका है | तमाम बहस हो गयी की क्या गलत है क्या सही , क्या होना चाहिए क्या नहीं | लेकिन किसी ने भी बात को नहीं समझा की ये धर्मांतरण हो क्यू रहा है ,कारण क्या है ? कई इसे हिन्दू धर्म मे व्याप्त जातिवाद को दोषी मानते है जो की बिलकुल सही है लेकिन इसके साथ भी कई वजहे हैं जिनसे कोई धर्मांतरण करने को मजबूर होता | जिनमे गरीबी, गुरबत ,भूख और नंग प्रमुख है | लोग कहते है की वो गीता , कुरान और बाइबल से ज्ञान प्राप्त कर के धर्मांतरित होते हैं वो मूर्ख है | गरीब को ज्ञान से मतलब नहीं उसे अपनी भूख मिटानी है , बच्चो का पेट भरने से मतलब है | उसे जहा फाइदा दिखेगा वो व्ही जाएगा | आप उसे लालच दो वो मुस्लिम हो जाएगा और अगर उसे कही और ज्यादा फायदा होगा वो ईसाई या हिन्दू हो जाएगा | हन्नान अंसारी साहब धर्मांतरण को जातिवाद का समाधान बताते है मै उनसे असहमत हूँ मै  ये कहता हूँ की ये उपाय है बचने का समाधान नहीं है |  धर्म परिवर्तन कराने वाले  अधिकतर वो गरीब होते हैं जो दो वक़्त की रोटी नहीं खा पाते उन्हे लालच देना आसान है उनके लिए पेट भरने के लिए धर्म परिवर्तन करने का सौदा कोई महंगा नहीं होता |

हिन्दू धर्म और जातिवाद का हमेशा से चोली दामन का साथ रहा है | हिन्दू धर्म मे वर्ण व्यवस्था का जन्म श्रम आधारित है अर्थात जिसने जो कार्य किया वही उसका वर्ण , उसकी जाति हो गयी | जिसने पठन पाठन का कार्य किया वो ब्राह्मण हुआ ,जिसने समाज मे सबकी रक्षा की और राज पाट संभाला वो क्षत्रिय हुआ , जिसने व्यापार किया वो वैश्य हुआ और तब जो बचा जिसने और वों काम जो समाज मे निक्रष्ट कार्य माने जाते थे वो शूद्र कहलाए और बाद मे इन्हे भी बाँट दिया गया |  यह भी है की अगर मनुष्य कार्य बादल दे तो उसकी जाति बदल जाएगी क्यूकी जाति व्यवस्था श्रम आधारित है परंतु राजनीति ने इस प्रक्रिया को खत्म कर दिया आरक्षण व्यवस्था को लागू कर के  अब तो अपना श्रम बदलने वाला भी अपनी जाति नहीं बदलता आरक्षण के लालच मे | और यही आरक्षण की सबसे बड़ी कमजोरी है की जो जरूरत मंद है उन्हे इसका लाभ नहीं मिल पाता | हिन्दू धर्म की कई धर्म पुस्तकों मे भी जातिवाद को प्रमुखता से शामिल किया है जिनमे तुलसीदास द्वारा रचित श्री रामचरित मानस प्रमुख है | तुलसी दास ने अपने इस ग्रंथ मे ब्रहमनवाद को बहुत महत्व दिया और शूद्रो और स्त्रियो को निक्रष्ट बताया | तुलसी की एक चौपाई है “ ढ़ोल ,गंवार , शूद्र, पशु ,नारी सकल ताड़न के अधिकारी”

इस चौपाई का कई पेशेवर रामायडी कई निरर्थक अर्थ बताते हैं लेकिन सच तो ये है की थोड़ी सी भी अवधी और हिन्दी जानने वाले इस चौपाई का अर्थ बता सकते हैं की ढ़ोल,गंवार, निचली जाति के लोग और स्त्रियाँ मर पिटाई की हकदार होती हैं | और वही एक जगह तुलसी ने राम के मुख से ये कहलवाया की ब्राह्मण कितना भी गाली दे , चाहे कितने भी कुकृत्य करे , व्यभिचार करे वो सदा पूजनीय होता है उसे मारना या सताना घोर अपराध है और वही अगर शूद्र कितना भी ज्ञानी हो जाये वो सदा निक्रष्ट रहेगा | क्या मर्यादा पुरुषोत्तम राम ये कह सकते हैं ? अगर हाँ तो वो पुरुषोत्तम कैसे रह गए | इनही जैसी और भी कई चौपाइयों मे ब्राह्मण वाद का समर्थन तुलसी ने किया है और शूद्रो को निक्रष्ट बताया है | इनहि चौपाइयों को माइक भोंपा लगाकर रात भर गाया जाता है | इन पंक्तियो और चौपाइयों के कारण तुलसी क्रत  श्री राम चरित मानस भारत के संविधान का भी अनादर करती है जिसमे किसी को जाति, धर्म ,प्रांत ,संप्रदाय और रंग के आधार पर भेदभाव एक अपराध माना गया है | सब जानते हैं की लोकतंत्र का सबसे बड़ा ग्रंथ संविधान है और लोकतान्त्रिक देश के निवासियों को उसी ग्रंथ को सर्वोपरि मानना चाहिए | तुलसी क्रत श्री रामचरित मानस भारत के संविधान का जाने अंजाने मे निरादर करती है |

हिन्दू धर्म मे व्याप्त जातिवाद हिन्दू धर्म को खोखला कर रहा है | इस जातिवाद को ही आज धर्मांतरण का मुख्य कारण बताया जा रहा है और मै सहमत हूँ क्यूकी पढे लिखे और सम्पन्न लोग भी धर्म परिवर्तन करते है | और किसी हद तक उनका ये फैसला सही भी है क्यूंकी जब आपका धर्म ग्रंथ ही उन्हे अछूत और निक्रष्ट  बताएँगे और उस धर्म का प्रतिनिधि उन्हे छूये भी नहीं तो उस धर्म का अनुयायी बन कर क्या फायदा| इसी जाति वाद का फायदा कुछ तत्व उठाते है जो लोगो को लालच देकर उनका धर्म परिवर्तित करने मे लगे हैं | और कुछ लोग धर्म परिवर्तन को जातिवाद की समस्या का समाधान बता रहे हैं लेकिन ये भूल जाते हैं की लालच देकर अगर उनका धर्म एकबार  बदला जा सकता है तो दोबारा क्यू नहीं ? धर्मांतरण जातिवाद का समाधान किसी भी तरह नहीं हो सकता | धर्मांतरण देश मे सांप्रदायिक तनाव फैला सकता है | स्वेछा से किया गया धर्म परिवर्तन तो कानूनन मान्य और स्वागत योग्य है लेकिन लालच देकर और जबरन किया गया धर्मांतरण कानूनन जुर्म है इसे समझना होगा  | धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने से कुछ नहीं होगा जो कानून पहले से मौजूद हैं उन्हे कड़ाई से लागू करना होगा | यदि धर्मांतरण को आप रोकना  चाहते हैं तो आपको पहले गरीबी ,गुरबत ,भूख, नंग और जातिवाद को खत्म करना पड़ेगा तब बाद मे आप धर्मांतरण पर रोक लगा सकते हैं | इन चीजों के खिलाफ कानून  पहले से हैं इन्हे ही कड़ाई से लागू करना होगा |

बेवजह हल्ला और राजनीति करने का कोई फाइदा नहीं है इस समस्या को सबको मिल कर खतम करना होगा कानून बनाने से क्या होगा वो भी तमाम कानूनों की तरह विधि की किताबों मे एक पन्ने मे सिमट जाएगा | समस्या विकट है लेकिन समाधान बहुत आसान और जातिवाद को ख़तम करना है तो समाज को साथ आना होगा इसे ख़त्म करने के लिए| धर्मांतरण जातिवाद की समस्या का समाधान नहीं है अपितु सांप्रदायिकता नाम की समस्या की जड़ है |

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